☸तथागत बुद्ध ने 38 प्रकार के "मंगल कर्म" बताये है जो "महा मंगलसुत्त" के नाम से जाना जाता है, जो निम्नलिखित है -
🔹1 मूर्खों की संगति ना करना !
🔹2 बुद्धिमानों की संगति करना ॥
🔹3 शीलवानो की संगति करना ॥
🔹4 अनुकूल स्थानों में निवास करना ॥
🔹5 कुशल कर्मों का संचय करना ॥
🔹6 कुशल कर्मों में लग जाना ॥
🔹7 अधिकतम ज्ञान का संचय करना ॥
🔹8 तकनीकी विद्या अर्थात शिल्प सीखना ॥
🔹9 व्यवहार कुशल एवं विनम्र होना ॥
🔹10 विवेकवान होना ॥
🔹11 सुंदर वक्ता होना ॥
🔹12 माता पिता की सेवा करना ॥
🔹13 पुत्र-पुत्री-स्त्री का पालन पोषण करना
🔹14 अकुशल कर्मों को ना करना ॥
🔹15 बिना किसी अपेक्षाके दान देना ॥
🔹16 धम्म का आचरण करना ॥
🔹17 सगे सम्बंधियों का आदर सत्कार करना
🔹18 कल्याणकारी कार्य करना ॥
🔹19 मन, शरीर तथा वचन से परपीड़क कार्य
ना करना ।।
🔹20 नशीली पदार्थों का सेवन ना करना ॥
🔹21 धम्म के कार्यों में तत्पर रहना ॥
🔹22 गौरवशाली व्यक्तित्व बनाए रखना ॥
🔹23 विनम्रता बनाए रखना
🔹24 पूर्ण रूप से संतुष्ट होना अर्थात तृप्त होना
🔹25 कृतज्ञता कायम रखना ॥
🔹26 समय समय पर धम्म चर्चा करना ।।
🔹27 क्षमाशील होना ॥
🔹28 आज्ञाकारी होना ॥
🔹29 भिक्षुओ, शीलवान लोगों का दर्शन करना
🔹30 मन को एकाग्र करना
🔹31 मन को निर्मल करना
🔹32 सतत जागरूकता बनाए रखना ।।
🔹33 पाँच शीलों का पालन करना ॥
🔹34 चार आर्य सत्यों का दर्शन करना ।।
🔹35आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चलना ॥
🔹36 निर्वाण का साक्षात्कार करना ॥
🔹37 लोक धम्म लाभ हानि,यश अपयश,
सुख-दुख,जय-पराजय से विचलित ना होना
🔹38 शोक रहित ,निर्मल एवम निर्भय होना ॥
...अगर कोई इन 38 मंगल कर्म का पालन करने लग जाये तो समझो उसके जिंदगी से दुःख एवं परेशानियां दूर हो जायेंगे।।।
!!भवतु सब्ब मंगलं!!
!!सबका मंगल हो!!
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