“भगवन ! कई ऐसे लोग देखे गये जो थोड़ा सा ही प्रयत्न करते हैं और सहज में ही उनके पास अनायास ही रथ, वस्त्र-अलंकार आदि धन-वैभव मंडराता रहता है और ऐसे भी कई लोग हैं जो खूब प्रयास करते हैं फिर भी उन्हें नपा तुला मिलता है। ऐसे भी कई लोग हैं जो जिंदगीभर प्रयत्न करते हैं फिर भी वे ठनठनपाल ही रह जाते हैं। जब सृष्टिकर्ता एक ही है, सबका सुहृद है, सबका है तो सबको एक समान चीजें क्यों नहीं मिलतीं ?”
भगवान शिव ने कहाः “जिसने किसी भी मनुष्य जन्म में, फिर चाहे दो जन्म पहले, दस जन्म पहले या पचास जन्म पहले बिना माँगे जरूरतमन्दों को दिया होगा और मिली हुई संपत्ति का सदुपयोग किया होगा तो प्रकृति उसे अनायास सब देती है। जिन्होंने माँगने पर दिया होगा, नपा-तुला दिया होगा, उन्हें इस जन्म में मेहनत करने पर नपा-तुला मिलता है और तीसरे वे लोग हैं जिन्होंने पूर्वजन्म में न पंचयज्ञ किये, न अतिथि सत्कार किया, न गरीब-गुरबों के आँसू पोंछे, न गुरुजनों की सेवा की वरन् केवल अपने लिये ही संपत्ति का उपयोग किया और कंजूस बने रहे ऐसे लोग इस जन्म में मेहनत करते हुए भी ठीक से नहीं पा सकते हैं और प्रकृति उन्हें देने में कंजूसी करती है।”
तब माँ पार्वती कहती हैं- “ऐसे लोग भी तो हैं, प्रभु ! कि जिनके पास धन-संपदा तो अथाह है लेकिन वे प्राप्त संपदा का भोग नहीं कर सकते।”
शिवजी ने कहाः “जिन्होंने जीवनभर संग्रह किया लेकिन मरते समय उन्हें ऐसा लगा कि कुछ तो कर जायें ताकि भविष्य में मिले…. इस भाव से अनाप-शनाप दान कर दिया तो उन्हें दूसरे जन्म में धन-संपदा तो अनाप-शनाप मिलती है किन्तु वे उसका उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि जो पहले भी किसी के काम नहीं आया, वह उनके काम में कैसे आ सकता है ?”
माँ पार्वतीः “हे ज्ञाननिधे ! ऐसे भी कई लोग हैं जिनके पास धन, विद्या, बाहुबल बहुत है फिर भी वे अपने कुटुम्बियों के, पत्नी के प्रिय नहीं दिखते और कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पास धन-संपदा नहीं है, बाहुबल, सत्ता नहीं है, सौन्दर्य नहीं है, मुट्ठीभर हाड़पिंजर शरीर है फिर भी कुटुम्बियों का, पत्नी का बड़ा स्नेह उन्हें मिलता है।
शिवजीः “हे उमा ! जिन्होंने अपना बाल्यकाल, अपना पूर्वजन्म संयमपूर्वक एवं दूसरों को मान देकर गुजारा है उनको कुटुम्बी स्नेह करते हैं और वे गरीबी में भी सुखी जीते हैं !
ॐ नमः शिवाय
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